सुप्रीम कोर्टने बाजार नियामक सेबी को उसका काम याद दिलाया। शीर्ष अदालत ने सेबी (SEBI) को फटकारते हुए कहा कि बतौर रेगुलेटर उसका काम निष्पक्ष तरीके से काम करना है। 1994 का यह मामला रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) से जुड़ा था। देश की सबसे बड़ी अदालत ने माना कि सेबी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के खिलाफ कार्रवाई में उसे अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि बड़ी कंपनियों के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई का अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। सेबी ने कंपनी कानून, 1956 के सेक्शन 77 (2) के उल्लंघन के तहत कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की थी। उसका आरोप था कि रिलायंस ने 38 संबंधित फर्मों के जरिये अपने ही शेयर खरीदे। सेबी ने इस मामले में कंपनी और उसके प्रमोटरों के खिलाफ क्रिमिनल कम्प्लेंट दर्ज की थी।
कोर्ट ने सेबी को शेयर खरीद मामले से जुड़े दस्तावेज कंपनी को मुहैया कराने का आदेश दिया है। रिलायंस को बड़ी राहत प्रदान करते हुए मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बाजार नियामक का काम निष्पक्ष रूप से कार्य करने का है। पीठ ने साथ ही बाजार नियामक को रिलायंस को वे दस्तावेजों मुहैया करने के लिए कहा, जो कंपनी के दोषमुक्त होने का दावा करते हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने रिलायंस की अपील को मंजूर करते हुए कहा, ‘सेबी एक नियामक है। उसका काम निष्पक्ष रूप से कार्य करने का है। नियामक को निष्पक्षता दिखानी होगी। हम इसकी अनुमति देते हैं। सेबी को आरआईएल की ओर से मांगे गए दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश देते हैं।’
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि रिलायंस इंडस्ट्रीज को जरूरी दस्तावेज मुहैया नहीं कराए गए। कोर्ट ने कहा कि ऐसा करके सेबी ने कंपनी को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया। इसके साथ ही क्रिमिनल कम्प्लेंट की कार्रवाई शुरू कर दी। कोर्ट इससे बिल्कुल खुश नहीं है। सेबी की ड्यूटी निष्पक्ष तरीके से काम करने की है। यह जिम्मेदारी बुनियादी न्याय से जुड़ी हुई है। नियामक का काम शिकायतों को निष्पक्ष तरीके से निपटाना है।