कानून बनने के बाद महिला सांसदों की संख्या 181 होगी, लेकिन 2024 में लागू नहीं होगा
नई दिल्ली। लोकसभा की कार्यवाही मंगलवार को नये संसद भवन में आरंभ हुई और इसके साथ ही भारत के संसदीय इतिहास में एक नया अध्याय शुरू हुआ। सरकार ने सबसे पहले लोकसभा, राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने संबंधी ऐतिहासिक ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ पेश किया। विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने लोकसभा में ‘संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां) संशोधन विधेयक, 2023’ पेश किया।
विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक, पहली दशकीय जनगणना के पश्चात ही महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होगा। प्रावधान यह भी है कि सीटों के परिसीमन के बाद ही कानून पर अमल होगा। दरअसल जो जनगणना वर्ष 2021 में पूर्ण होनी थी वह अब तक नहीं हुई । न ही सीटों के परिसीमन की कवायद शुरू हुई है। इस लिहाज से आगामी आम चुनाव यानी वर्ष 2024 तक कानून बनने के बावजूद महिलाओं को आरक्षण मिलना दूर की कौड़ी ही साबित होगी। जानकार तो यहां तक कहते हैं कि वर्ष 2029 तक भी अगर यह लागू हो जाये तो बड़ी बात है। इन्हीं मुद्दों पर विपक्ष इसे ‘चुनावी जुमला’ कह रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘महिला आरक्षण विधेयक का हमने हमेशा से समर्थन किया है। राजनीति में जिस प्रकार एससी-एसटी वर्ग को संवैधानिक अवसर मिला है, उसी प्रकार ओबीसी वर्ग की महिलाओं को भी इस विधयेक के जरिये समान मौका मिलना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘विधेयक के मौजूदा प्रारूप में लिखा है कि ये जनगणना और परिसीमन के बाद ही लागू किया जाएगा। इसका मतलब, मोदी सरकार ने शायद 2029 तक महिला आरक्षण के दरवाज़े बंद कर दिये हैं।
उधर, बिल पेश करते वक्त मेघवाल ने कहा कि विधेयक के कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या मौजूदा 82 से बढ़कर 181 हो जाएगी। विधेयक में फिलहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा। केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि महिलाओं की आरक्षित सीट में भी अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षण होगा। इसी दौरान अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि विधेयक पर चर्चा बुधवार को शुरू होगी।
मेघवाल ने 2010 में महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित होने के बाद उसे लोकसभा से पारित न कराने को लेकर तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की मंशा पर सवाल उठाया। इससे पहले विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर विधेयक की प्रति नहीं दिये जाने का आरोप लगाते हुए शोर-शराबा किया। इस पर संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि नयी प्रौद्योगिकी से लैस स्क्रीन पर सब कुछ अपलोड किया जा चुका है। विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच अध्यक्ष ने हस्तक्षेप किया और सदस्यों से कहा कि वे अपनी-अपनी सीट पर यंत्र में विधेयक को देख सकते हैं।
ऐसे पवित्र काम के लिए ईश्वर ने मुझे चुना – मोदी
आरक्षण संबंधी मुद्दे पर मोदी ने कहा, ‘महिला आरक्षण विधेयक पहले भी कई बार संसद में पेश किया जा चुका है, लेकिन महिलाओं को अधिकार देने जैसे कई पवित्र कार्यों के लिए ईश्वर ने मुझे चुना है।