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Monday, December 23, 2024

नारे लगाने-चिल्लाने से नेता नहीं बनते, चर्चा-संवाद से बनते हैं’, सदन में हंगामे पर बोले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला

15वीं गुजरात विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के लिए आयोजित संसदीय कार्यशाला का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने किया।

समापन 16 फरवरी, 2023 को गुजरात के राज्यपाल, श्री आचार्य देवव्रत के भाषण के साथ होगा।

विधानसभा अध्यक्ष श्री शंकरभाई चौधरी का विधायकों से कार्यशाला के दौरान संसदीय कार्यप्रणाली सीखने-समझने का अनुरोध

भूपेंद्र पटेल सरकार का पहला बजट सत्र 23 फरवरी को होने जा रहा है।

गांधीनगर। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद और राज्य विधानसभाओं में हंगामे को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने बुधवार को गुजरात विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों के लिए दो दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र के लिए उचित नहीं हैं। अपने संबोधन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि आजकल संसद और राज्य विधानसभाओं में आरोप-प्रत्यारोप की जो ‘नई परंपरा’ चल रही है, वह देश के संवैधानिक लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। लोकतंत्र को ‘जीवंत और सक्रिय’ बनाने के लिए सदनों में रचनात्मक बहस और चर्चा की जानी चाहिए। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ने एक अच्छा नेता बनने के गुर भी बताए।

लोकतंत्र में आलोचना एक ‘शुद्धि यज्ञ’ – ओम बिरला

कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में आलोचना एक ‘शुद्धि यज्ञ’ (शुद्धिकरण अनुष्ठान) है। आगे उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि जहां भी जरूरी हो, विपक्ष को सरकार की नीतियों की आलोचना करनी चाहिए, उन्हें रचनात्मक सुझाव देना चाहिए। बजाय इसके इस समय इन संस्थानों में आलोचना के बजाय आरोप-प्रत्यारोप की नई परंपरा देखी जा रही है। यह देश के संवैधानिक लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है।

हमें अपनी परंपरा का पालन करना चाहिए

इन दिनों एक नई व्यवस्था देखने को मिल रही है- सुनियोजित तरीके से सदनों को बाधित करने की। यह विधानसभा अध्यक्षों की बैठकों में भी देखी गई है। राज्यपाल/राष्ट्रपति के भाषण में व्यवधान पैदा करना संवैधानिक लोकतंत्र की अच्छी परंपरा नहीं है। जब कोई राज्यपाल या राष्ट्रपति भाषण देता है तो वह संवैधानिक रूप से श्रेष्ठ होता है। इसलिए, कोई भी पार्टी सत्ता में हो, हमें अपनी परंपरा का पालन करना चाहिए।

नेता बनने के बताए गुर

उन्होंने कहा कि नारे लगाने, चिल्लाने और व्यवधान पैदा करने से कोई नेता नहीं बनता, बल्कि चर्चा, बहस और संवाद से नेता बनता है।  लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र को जीवंत और सक्रिय बनाने के लिए चर्चा, बहस और कानून बनाने में सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है। साथ ही, जब हम कानून बनाते हैं, तो हमें लोगों और विशेषज्ञों से सुझाव और अलग-अलग इनपुट लेने चाहिए।

इस दौरान उन्होंने बताया कि मॉडल उपनियम तैयार करने का काम मार्च तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद सदनों की कार्यवाही में एकरूपता लाने के प्रयास में क्या अपनाया जा सकता है, यह देखने के लिए इसे विधानसभाओं में चर्चा के लिए भेजा जाएगा।

गुजरात विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों के लिए दो दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम को लेकर उन्होंने कहा कि इस विधानसभा में बनाए गए कानून राज्य के औद्योगिक और सामाजिक विकास के कारण बने है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि नव-निर्वाचित विधायकों को पिछली बहसों और चर्चाओं का अध्ययन करना चाहिए और उनसे ज्ञान प्राप्त करना चाहिए।

इस अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि गुजरात एक आदर्श राज्य है, जो देश के विकास इंजन के रूप में विकसित हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि जब अन्य राज्यों या विधायिकाओ में विकास के मुद्दों पर चर्चा होती है, तो वे गुजरात को मॉडल के रूप में देखते हैं। श्री पटेल ने जनप्रतिनिधियों के कर्तव्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों को लोकतंत्र के मंदिर समान विधायी संस्थाओं की मर्यादा को बनाए रखना चाहिए।
संसदीय कार्यशाला के उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए श्री पटेल ने कहा कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली, प्रक्रियाओं और नियमों की विस्तृत जानकारी देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जो एक सराहनीय क़दम है। उन्होंने आगे कहा कि इस कार्यक्रम की सहायता से विधायकजन सदन में प्रभावी ढंग से भाग ले सकेंगे । मुख्यमंत्री ने सदस्यों से लोगों के कल्याण के लिए आम सहमति से जनकल्याण के फ़ैसलों में भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि दो दिवसीय कार्यक्रम की चर्चा और निष्कर्ष सदस्यों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा और सदस्य अपने कामकाज से सुनिश्चित करेंगे कि संसदीय लोकतंत्र के उच्चतम् मूल्यों को और सशक्त किया जाए।
कार्यशाला के शुभारंभ समारोह में स्वागत संबोधन करते हुए गुजरात विधानसभा अध्यक्ष श्री शंकरभाई चौधरी ने कहा कि गुजरात की जनता द्वारा निर्वाचित जनप्रतिनिधि संसदीय कार्यप्रणाली, नियमों एवं सदन की कार्यवाही से परिचित हों और अपने कर्तव्यों का सुचारु रूप से पालन कर जनाकांक्षाओं पर खरे उतर सकें; इस उद्देश्य इस विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्यप्रणाली के विभिन्न विषयों को पढ़ने की बजाय अनुभवों से अधिक बेहतर ढंग से समझा जा सकता है और इसीलिए एक नूतन पहल के अंतर्गत इस संसदीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। विधानसभा अध्यक्ष ने इस पहल का स्वागत करते हुए अपनी टीम के साथ कार्यशाला में पधारने के लिए लोकसभा अध्यक्ष श्री बिरला का आभार व्यक्त किया। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि कार्यशाला के दो दिनों के दौरान विभिन्न विषयों पर लगभग 10 सत्रों का आयोजन किया गया है, जिनमें अनुभवी वक्ताओं द्वारा विशेष मार्गदर्शन दिया जाएगा। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से इन सत्रों में उपस्थित रह कर कुछ नया सीखने और संसदीय परम्पराओं को समझने का अनुरोध किया।
गुजरात विधानसभा के उपाध्यक्ष श्री जेठाभाई भरवाड़ ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।

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