नई दिल्ली। यूपीआई ने डिजिटल रूप से पैसों के लेन-देन को आसान बना दिया है। अब तक देश में यूपीआई से भुगतान पर कोई चार्ज नहीं वसूला जाता है। हालांकि रिजर्व बैंक ने यूपीआई से भुगतान पर चार्ज वसूलने के संकेत दिए थे। जिसके बाद वित्त मंत्रालय ने इस पर सफाई देते हुए रविवार (21 अगस्त) को कहा कि सरकार का फिलहाल यूपीआई पर चार्ज लगाने का कोई इरादा नहीं है।
वित्त मंत्रालय ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा, “UPI एक डिजिटल पब्लिक सर्विस है जिसका मकसद जनता की सुविधा और अर्थव्यवस्था लाभ है। यूपीआई सेवाओं के लिए कोई चार्ज लगाने का फिलहाल सरकार का कोई विचार नहीं है। लागत वसूली के लिए सर्विस प्रोवाइडर्स को अन्य माध्यमों का सहारा लेना होगा।
वित्त मंत्रालय ने अपने दूसरे ट्वीट में लिखा, “सरकार ने पिछले साल डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की थी। इस वर्ष भी डिजिटल पेमेंट को अपनाने और भुगतान प्लेटफार्मों को बढ़ावा देने और प्रोत्साहित करने की घोषणा की है जो किफायती और उपयोगकर्ता के अनुकूल हैं।
आरबीआई ने मांगी थी सलाह :
दरअसल, आरबीआई ने हाल ही में डिस्कशन पेपर जारी किया था। रिजर्व बैंक ने इस डिस्कशन पेपर पर आम लोगों से राय मांगी थी। इस डिस्कशन पेपर में यूपीआई से भुगतान करने पर चार्जेज वसूलने की भी बात कही गई थी। दरअसल, रिजर्व बैंक पेमेंट सिस्टम्स के डेवलपमेंट और पेमेंट के सेटलमेंट के लिए तैयार की गई बुनियादी संरचना की लागत को वसूल करने के विकल्प तलाश रहा है।
पेपर में कहा गया था कि यूपीआई भी IMPS की तरह एक फंड ट्रांसफर सिस्टम है। ऐसे में इस पर भी आईएमपीएस की तरह फंड ट्रांसफर ट्रांजेक्शन पर चार्ज लगने चाहिए। रिजर्व बैंक ने कहा कि अलग-अलग अमाउंट के हिसाब से अलग-अलग चार्ज निर्धारित किए जा सकते हैं। आरबीआई ने Payments Systems में डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, एनईएफटी, आरटीजीएस, यूपीआई और पीपीआई को शामिल किया और इन पर लगने वाले शुल्कों पर जनता की राय मांगी थी।
मुफ्त सेवाओं का तर्क नही :
आरबीआई ने यह भी कहा था कि यूपीआई भुगतान के सेटेलमेंट की पूरी प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए पीएसओ और बैंकों को जरूरी बुनियादी संरचना तैयार करने पर खर्च करना पड़ता है ताकि बिना किसी रिस्क के लेन-देन की प्रक्रिया पूरी की जा सके। ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि किसी सेवा को सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी संरचना तैयार करने पर जो भारी-भरकम खर्च होता है उसे कौन वहन करेगा?