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Monday, December 23, 2024

15 अगस्त 1947 को हमने औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों को तोड़ दिया- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्र के नाम पहला संबोधन

नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को राष्ट्र को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि
14 अगस्त को विभाजन-विभीषिका स्मृति-दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस स्मृति दिवस को मनाने का उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, मानव सशक्तीकरण और एकता को बढ़ावा देना है।

राष्ट्रपति ने कहा कि 15 अगस्त 1947 के दिन हमने औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों को काट दिया था। उस दिन हमने अपनी नियति को नया स्वरूप देने का निर्णय लिया था।
उस शुभ-दिवस की वर्षगांठ मनाते हुए हम लोग सभी स्वाधीनता सेनानियों को सादर नमन करते हैं। उन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया ताकि हम सब एक स्वतंत्र भारत में सांस ले सकें।

अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा,
“76वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देश और विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को मेरी हार्दिक बधाई। मुझे इस महत्वपूर्ण अवसर पर आपको संबोधित करते हुए खुशी हो रही है। भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में 75 वर्ष पूरे कर रहा है।”

आजादी का अमृत महोत्सव जनता को समर्पित

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, “आजादी का अमृत महोत्सव मार्च 2021 में दांडी यात्रा की स्मृति को फिर से जीवंत रूप देकर शुरू हुआ। उस युगांतरकारी आंदोलन ने हमारे संघर्ष को विश्व-पटल पर स्थापित किया। उसे सम्मान देकर हमारे इस महोत्सव की शुरुआत की गई। यह महोत्सव भारत की जनता को समर्पित है।”

हम अपनी ‘भारतीयता’ मनाते हैं

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, “स्वतंत्रता दिवस मनाते समय हम अपनी ‘भारतीयता’ मनाते हैं। भारत विविधताओं से भरा है, लेकिन हम सभी में कुछ न कुछ एक समान भी होता है। यही सामान्य धागा है जो हमें एक साथ बांधता है और हमें ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना के साथ चलने के लिए प्रेरित करता है।” राष्ट्रपति ने कहा कि अधिकांश लोकतांत्रिक देशों में वोट देने का अधिकार प्राप्त करने के लिए महिलाओं को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा था, लेकिन हमारे गणतंत्र की शुरुआत से ही भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया।

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा, “कई वीरों और उनके संघर्षों को भुला दिया गया, खासकर किसानों और आदिवासियों के, 15 नवंबर को ‘जनजाति गौरव दिवस’ के रूप में मनाने के सरकार के फैसले का स्वागत है क्योंकि हमारे आदिवासी नायक न केवल स्थानीय या क्षेत्रीय प्रतीक हैं बल्कि पूरे देश को प्रेरित करते हैं।”

जैविक विविधता का संरक्षण हमारा कर्तव्य

राष्ट्रपति मुर्मू ने देशवासियों से कहा, “आज जब हमारे पर्यावरण के सम्मुख नई-नई चुनौतियां आ रही हैं तब हमें भारत की सुंदरता से जुड़ी हर चीज का दृढ़तापूर्वक संरक्षण करना चाहिए।
जल, मिट्टी और जैविक विविधता का संरक्षण हमारी भावी पीढ़ियों के प्रति हमारा कर्तव्य है।”

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