अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद अब गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने भी अंग्रेजी भाषा से इतर मातृभाषा (प्रादेशिक भाषा) में भी न्याय प्रक्रिया की कार्यवाही करने की वकालत की है। उन्होंने मातृ भाषा में शिक्षा व न्याय का मूल्य तथा महत्व समझाते हुए न्यायिक प्रक्रिया को मातृ भाषा में क्रियान्वित करने का बलपूर्वक अनुरोध किया।
वे जन्माष्टमी पर्व पर शुक्रवार को गुजरात हाईकोर्ट परिसर में औषधीय वन लोकार्पण एवं न्यायिक सेवाओं से जुड़े विभिन्न प्रोजेक्टों के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने कहा कि देश आजादी का अमृत महोत्सव
(75 साल पूरे होने का उत्सव) मना रहा है। ऐसे में हमें गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलने की जरूरत है। राज्यपाल ने कहा कि न्याय जो पीड़ित है, उसको उसी की भाषा में ही मिलना चाहिए तब उसको संतोष होगा। कुछ प्रांतों में परिवर्तन आया है। उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान ऐसे राज्य हैं जब वहां के लोगों को उन्हीं की भाषा में न्याय मिल रहा है, तो बाकी में क्या दिक्कत है? जो होना चाहिए।
इस कार्यक्रम में राज्यपाल के साथ मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल तथा गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार सहित महानुभाव उपस्थित थे। उच्चतम् न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम. आर. शाह, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेशभाई पटेल तथा गृह राज्य मंत्री हर्षभाई संघवी भी उपस्थित रहे। राज्यपाल ने कहा कि बंदियों (क़ैदियों) के लिए मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ परामर्श (काउंसेलिंग) का दृष्टिकोण न्यायाधीशों की प्रत्येक नागरिक के प्रति संवेदनशीलता और मानवीय संवेदना का परिचय कराता है। इस दौरान गुजरात सरकार के गृह विभाग व राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के सहयोग से जीएसएलएसए द्वारा सेंटर फ़ॉर सोशियो- साइकोलॉजिकल केयर ऑफ़ प्रिजऩ इनमेट्स (कारागार बंदी सामाजिक- मनोवैज्ञानिक सुश्रुषा केन्द्र) का शुभारंभ किया गया।
समारोह के आरंभ में गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार ने स्वागत सम्बोधन किया, तो अंत में न्यायाधीश व जीएसएलएसए की कार्यपालक अध्यक्ष (एग्ज़ीक्यूटिव चेयरमैन) न्यायमूर्ति सोनियाबेन गोकाणी ने आभार ज्ञापित किया।
गुजरात उच्च न्यायालय परिसर में स्थित सभागार (ऑडिटोरियम) में आयोजित इस समारोह में सुप्रीमकोर्ट के न्यायाधीशों न्यायमूर्ति बेलाबेन त्रिवेदी व न्यायमूर्ति जे. बी. पारडीवाला ने भी वर्चुअली भाग लिया। समारोह में गुजरात हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त व वर्तमान न्यायाधीश, पदाधिकारी गुजरात के महाधिवक्ता कमलभाई त्रिवेदी, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव के. कैलाशनाथन, अहमदाबाद के महापौर किरीटभाई परमार, न्यायपालिका से जुड़े विशेषज्ञ, अधिवक्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने भी जताई मातृभाषा में कार्य की जरूरत
मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कुछ समय पहले देश के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों की परिषद् में कहा था, सुराज्य का आधार न्याय है। जनता की समझ में आए, न्याय उस भाषा में उन तक पहुंचना आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज गुजराती में अनुवादित पुस्तक जनसमस्त अने कायदो (जनसमस्त और क़ानून) का विमोचन हुआ है, जो प्रधानमंत्री के विचार के अनुरूप है। पटेल ने कहा कि जनसाधारण तक न्याय पहुंचाने के लिए हम सभी कर्तव्यबद्ध होने का संकल्प लेंगे, तभी हम न्याय की संकल्पना को साकार कर सकेंगे।
गुजरात हाईकोर्ट एवोकेट्स एसोसिएशन ने भी की है मांग
ज्ञात हो कि कुछ दिनों पहले ही गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से भी राज्यपाल आचार्य देवव्रत को पत्र लिखकर मांग की गई है कि वे गुजरात हाईकोर्ट में अंग्रेजी भाषा के अलावा गुजराती भाषा में भी न्यायिक कार्यवाही की मंजूरी प्रदान करें।